आए हैं हम दुनिया में तो, बस इतना ही करना है, जन्म प्रधान नहीं, हमें सिर्फ कर्म प्रधान बनना है। हम वो नहीं जो मुंह में, चाँदी का चम्मच लाए हैं, हम वो नहीं जो जन्मजात, धन कुबेर कहलाए हैं। अपने रोजमर्रा में सब कुछ, कर्म करके अपनाते हैं, कर्म कर हमें फल मिले, तब दो निवाला खाते हैं। भगवान कृष्ण ने गीता में, कर्म प्रधानता बतलाते हैं, फल की चाहत से हमारे, मोह माया को हटाते हैं। जिसने जाना मोल कर्म का, आगे वह बढ़ पाया है, आलस कर जो बैठ गया, वो जीवन भर पछताया है। धीरे-धीरे चलकर कछुआ, जीत दौड़ में जाता है, एक-एक तिनके से पंछी, अपना नीड़ बनाता है। लेकिन अब तक रहने को घर, बंदर बना ना पाया है, जब जब भीगा बरसा में वो, मन ही मन पछताया है। बार-बार गिरकर भी मकड़ी, साहस नहीं गंवाती है, अपने मेहनत के बल पे, वो मंजिल को पा जाती है। लेकिन कुँए के तह से, मेंढक निकल ना पाया है, भ्रम के ताने बाने से, बस ख़ुद ही को बहलाया है। ऐ मानव कर्म कर तू, फल की इच्छा को वार दे, कर्म की पूजा करके, अपनी जीवन को संवार ले। #karma #independenceday #keywordsofvidi #collabwithme #YourQuoteAndMine Collaborating with ErVaishnavi dixit