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तेरे लगाए होऐ पर्दे मेरी घर की खिड़कियों पर आज भी

तेरे लगाए होऐ पर्दे मेरी घर की खिड़कियों पर आज भी लटक रहे हैं
 होने को तो जुदा हो गए हैं हम लेकिन जमाने को आज भी खटक रहे हैं
दीपक जांगिड़ पर्दे
तेरे लगाए होऐ पर्दे मेरी घर की खिड़कियों पर आज भी लटक रहे हैं
 होने को तो जुदा हो गए हैं हम लेकिन जमाने को आज भी खटक रहे हैं
दीपक जांगिड़ पर्दे

पर्दे #शायरी