Nojoto: Largest Storytelling Platform

धड़कन दिल की भी कभी , सुन ले जो दिलदार । सच कहता हू

धड़कन दिल की भी कभी , सुन ले जो दिलदार ।
सच कहता हूँ आपसे ,  जाँ भी दूँ मैं वार ।।
पत्नी सुख पाते कहाँ , यार आज पतिदेव ।
उनके तो दिल में सदा , रहे यार ही सेव ।।
निर्धन है जो आज पति , दिखते हैं असहाय ।
उनकी तो पत्नी कहे , दूर कहीं मर जाय ।।
पत्नी के ही प्रेम से , वंछित ये पति खास ।
धन माया के संग में , रखे न अपने पास ।।
जिन पतियों के पास में , दौलत रहे अथाह ।
वे भी पत्नी पे नज़र , रखे मेरी सलाह ।।
पति पत्नी का आज तो , बंधन लागे जेल ।
ताक-झाँक में देख लो , रिश्ते उनके फेल ।।
पत्नी पावन थी कभी , अब तो है लाचार ।
सिर्फ निभाती आज है , डरकर ये संस्कार ।।
पति पत्नी का प्रेम भी , लगता है व्यापार ।
बस फरमाइश हो वहाँ , दिखता कहीं न प्यार ।।
प्रेमी जन जो भी यहाँ , फांसी खाते आज ।
और दिखावा जो करे , करते दिल पर राज ।।
जख्मी दिल लेकर किधर , जायेंगे हम लोग ।
एक तुम्हारी याद का , बना हुआ है योग ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धड़कन दिल की भी कभी , सुन ले जो दिलदार ।
सच कहता हूँ आपसे ,  जाँ भी दूँ मैं वार ।।
पत्नी सुख पाते कहाँ , यार आज पतिदेव ।
उनके तो दिल में सदा , रहे यार ही सेव ।।
निर्धन है जो आज पति , दिखते हैं असहाय ।
उनकी तो पत्नी कहे , दूर कहीं मर जाय ।।
पत्नी के ही प्रेम से , वंछित ये पति खास ।
धन माया के संग में , रखे न अपने पास ।।
धड़कन दिल की भी कभी , सुन ले जो दिलदार ।
सच कहता हूँ आपसे ,  जाँ भी दूँ मैं वार ।।
पत्नी सुख पाते कहाँ , यार आज पतिदेव ।
उनके तो दिल में सदा , रहे यार ही सेव ।।
निर्धन है जो आज पति , दिखते हैं असहाय ।
उनकी तो पत्नी कहे , दूर कहीं मर जाय ।।
पत्नी के ही प्रेम से , वंछित ये पति खास ।
धन माया के संग में , रखे न अपने पास ।।
जिन पतियों के पास में , दौलत रहे अथाह ।
वे भी पत्नी पे नज़र , रखे मेरी सलाह ।।
पति पत्नी का आज तो , बंधन लागे जेल ।
ताक-झाँक में देख लो , रिश्ते उनके फेल ।।
पत्नी पावन थी कभी , अब तो है लाचार ।
सिर्फ निभाती आज है , डरकर ये संस्कार ।।
पति पत्नी का प्रेम भी , लगता है व्यापार ।
बस फरमाइश हो वहाँ , दिखता कहीं न प्यार ।।
प्रेमी जन जो भी यहाँ , फांसी खाते आज ।
और दिखावा जो करे , करते दिल पर राज ।।
जख्मी दिल लेकर किधर , जायेंगे हम लोग ।
एक तुम्हारी याद का , बना हुआ है योग ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धड़कन दिल की भी कभी , सुन ले जो दिलदार ।
सच कहता हूँ आपसे ,  जाँ भी दूँ मैं वार ।।
पत्नी सुख पाते कहाँ , यार आज पतिदेव ।
उनके तो दिल में सदा , रहे यार ही सेव ।।
निर्धन है जो आज पति , दिखते हैं असहाय ।
उनकी तो पत्नी कहे , दूर कहीं मर जाय ।।
पत्नी के ही प्रेम से , वंछित ये पति खास ।
धन माया के संग में , रखे न अपने पास ।।

धड़कन दिल की भी कभी , सुन ले जो दिलदार । सच कहता हूँ आपसे ,  जाँ भी दूँ मैं वार ।। पत्नी सुख पाते कहाँ , यार आज पतिदेव । उनके तो दिल में सदा , रहे यार ही सेव ।। निर्धन है जो आज पति , दिखते हैं असहाय । उनकी तो पत्नी कहे , दूर कहीं मर जाय ।। पत्नी के ही प्रेम से , वंछित ये पति खास । धन माया के संग में , रखे न अपने पास ।। #कविता