तन्हाई को गले लगाकर बैठे हैं। हम झूठी मुस्कान सजाकर बैठे हैं। पहले तो सब ठीक ठाक था लेकिन फिर, उनसे मिलकर जख्म हरा कर बैठे हैं। सोने पर भी स्वप्न उन्हीं के आते हैं, एक वो हैं जो हमें भुला कर बैठे हैं। हम लहरों से वो तटबंधों सी जिद्दी, तटबंधों से फिर टकरा कर बैठे हैं। दुनिया वाले जिसे मसीहा समझे थे, निर्धन का धन वही दबाकर बैठे हैं। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #ग़ज़ल_मन #गीतिका_मन #बैठें_हैं #प्यार #तन्हाई #beoken_hearted_shayar