मातम और सन्नाटे में उस दिन जो खून बहा था, लहू के कतरे- कतरे ने वन्दे मातरम कहा था। वीरांगनाओं ने गर्व से माथे का सिन्दूर मिटाया था, रणबांकुरे ने बलिदानों का मेला फिर सजाया था। बच्चों ने अपने पिता को अंतिम बार गले से लगाया था, तिरंगा ओढे बाप बच्चों से मिलने आख़िरी बार आया था। बहादुर की मौत उस दिन वो सब मरे थे, तेरे मेरे लिए वो देश के दुश्मनो से लडे था। ------------आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #पुलवामा #पुलवामा_अटैक #पुलवामा_शहीद_दिवस #पुलवामा_शहीदो_को_नमन #पुलवामाशहीद #Anand_Ghaziabadi