रचना दिनांक 14फरवरी 2025,, वार शुक्रवार समय सुबह पांच बजे भावचित्र ्् निज विचार ् ्शीर्षक ् ्् लब पे आती है लेकिन सुनाई ना दे, वो लफ्जो की बोली शैली कसक भरी तन्हाई मां शब्द बेटी सारा जीवन फूलों से जन्मा आत्म मंथन है चिन्तन है, जीवन अंन्दाज तेरे जैसा कोई नहीं ््् वाह जिंदगी वाह क्या बात है,, लब पे आती है लेकिन वह सुनाई ना दे।1। वह अल्फाज़ नगीना दिल है ,, मेरा काज संवारे प्रभु मोहे , बिटिया ही जिंदगी में सुंदर है ।2। विचार सच में तेरा मेरा रिश्ता ,, अनमोल वचन क्षण पल ,, अनंत परिपूर्ण शब्दयोग आनंद है।3। क्या जानूं नामालूम तेरी इबादत कर दिया,, इजहार करते इस बेनाम इस रिश्ते को ।4। पंख लगा कर उड़ गई परियों सी, बात हमारे दिल में घर कर गई,, पैदा तुझमें रची बसी समा गयी, उपमा प्रत्येय मन के अंलकार समंदर में।5। अन्दाज तेरे ख्यालों में , जैसे मिलता पानी में,, हंसते हंसाते रहो जमाने में क्या रखा है जिन्दगी में।6। और क्या कहे क्याअपनोसे जन्मा विचार सच है ,, मानु ये गंगा जल है ना मानु तो यह बहता पानी है।7। यही व्यथा कथा लिखी गई है,, यह राय मशवरा नहीं है,, यह दोस्ती निश्चल भाव से, पुजा अर्चना कर रही है।8। कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand Extraterrestrial life प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्सप्रेम और मुमकिन है जीवन में एक जीवंत कलाकृति होती है प्रेम शब्द से ही आनंद आता है कवि शैलेंद्र आनंद