Nojoto: Largest Storytelling Platform

हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल अब बहुत हो

हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल
अब बहुत हो चुका है 
आश की आशा किसी गैरों से
सब मृतप्राय से हो चुके है यहां
गूंगा बेहरा हो चुका हैं
समाज सारा
हर कोई निशब्द खड़ा है
टकटकी लगाएं
बस बहुत हो चुका है
हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल
कब तक आस जोहती रहेंगी
गूंगी बहरी सत्ता के दलालों से
कब तक ख़ुद को
इंसाफ़ के नाम पर जलील
करवाती रहेंगी
उस काली पट्टी बंधी
मूर्ति के रखवालों से
बस बहुत हो चुका
हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल
नोच डाल तेरे तरफ़ उठने वाले
उन वहसी आंखों को
काट डाल उन हाथों को
जो बिना इजाज़त तेरे
तरफ़ उठे
तोड़ डाल उन पैरों को
जो तेरी तरफ़ बढ़े
बस बहुत हो चुका
हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल #kavita#poem#poetry#nayikavita#naari
हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल
अब बहुत हो चुका है 
आश की आशा किसी गैरों से
सब मृतप्राय से हो चुके है यहां
गूंगा बेहरा हो चुका हैं
समाज सारा
हर कोई निशब्द खड़ा है
टकटकी लगाएं
बस बहुत हो चुका है
हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल
कब तक आस जोहती रहेंगी
गूंगी बहरी सत्ता के दलालों से
कब तक ख़ुद को
इंसाफ़ के नाम पर जलील
करवाती रहेंगी
उस काली पट्टी बंधी
मूर्ति के रखवालों से
बस बहुत हो चुका
हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल
नोच डाल तेरे तरफ़ उठने वाले
उन वहसी आंखों को
काट डाल उन हाथों को
जो बिना इजाज़त तेरे
तरफ़ उठे
तोड़ डाल उन पैरों को
जो तेरी तरफ़ बढ़े
बस बहुत हो चुका
हे नारी तू वस्त्र नहीं अब शस्त्र संभाल #kavita#poem#poetry#nayikavita#naari
manishkumar1303

Manish Kumar

Bronze Star
New Creator