Nojoto: Largest Storytelling Platform

उछल-उछल गोरी चले , पहने पायल पाँव । छम-छम करती पाय

उछल-उछल गोरी चले , पहने पायल पाँव ।
छम-छम करती पायलें , घायल सारा गाँव ।।

आज  सभी को  है मिला , द्वार उसी  का ठाँव ।
ठुमक-ठुमक कर वो चले , बजती पायल पाँव ।।

एक वही घर गाँव में , सबसे ऊँचा दुर्ग ।
कायल पायल के हुए , बच्चे और बुजुर्ग ।।

                  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उछल-उछल गोरी चले , पहने पायल पाँव ।
छम-छम करती पायलें , घायल सारा गाँव ।।

आज  सभी को  है मिला , द्वार उसी  का ठाँव ।
ठुमक-ठुमक कर वो चले , बजती पायल पाँव ।।

एक वही घर गाँव में , सबसे ऊँचा दुर्ग ।
कायल पायल के हुए , बच्चे और बुजुर्ग ।।
उछल-उछल गोरी चले , पहने पायल पाँव ।
छम-छम करती पायलें , घायल सारा गाँव ।।

आज  सभी को  है मिला , द्वार उसी  का ठाँव ।
ठुमक-ठुमक कर वो चले , बजती पायल पाँव ।।

एक वही घर गाँव में , सबसे ऊँचा दुर्ग ।
कायल पायल के हुए , बच्चे और बुजुर्ग ।।

                  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उछल-उछल गोरी चले , पहने पायल पाँव ।
छम-छम करती पायलें , घायल सारा गाँव ।।

आज  सभी को  है मिला , द्वार उसी  का ठाँव ।
ठुमक-ठुमक कर वो चले , बजती पायल पाँव ।।

एक वही घर गाँव में , सबसे ऊँचा दुर्ग ।
कायल पायल के हुए , बच्चे और बुजुर्ग ।।