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White इतना आसां नहीं कि एक मजबूर टूट जायेगा, जो स

White इतना आसां नहीं कि एक मजबूर टूट जायेगा, 
जो सोचते हैं ऐसा 
उन्हें कह दो उनका गुरूर टूट जायेगा।
पैर के छाले ही उसकी मेहनत की निशानी हैं
मंज़िल कैसे मिली ?
इसके पीछे एक उम्र की रवानी है।
फलक पर तुमने उसे देखा बस 
पर पहाड़ सी चढ़ाई न देखी,
तालियाँ देखी बस उसकी कामयाबी पर
उसके गिरने पर जग हँसायी न देखी।
गिर - गिरकर सम्हलना सीखता है हर बशर 
ये रीत भूल न जाना,
आने वाला कल बेहतर होगा बेशक 
पर अपना अतीत भूल न जाना।

©दिनेश
  #SAD आज और कल

#SAD आज और कल #कविता

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