# शेरनी🦁 अपने मुश्किलों को तू, खुद के ही हौसलों का पंजा मार, देखो बहुत हो गया! अपने भीतर की "शेरनी" को,चल अब तू बाहर निकाल, इन रंगीली फूलों से बहुत हो चुका, तेरा श्रृंगार! कांटों तले खुद के बेमिसाल ख्वाबों का, चल अब तू खुद से ही कर उनका शिकार। इस दुनियावी जंगल में! बिन बने शेरनी, तेरा होने से रहा कल्याण है। जो बन चुकी तू शेरनी, न भूलना कि सिर्फ तुम ही नहीं शिकारी यहां!! जो देखोगी मुड़कर ,तब तुम्हारा ही शिकार करने वालों को तुम अपने ही पीछे कतारों में पाओगी!! बिन करे लिहाज! जब दिखाएं कोई नीचता तुमसे, बिन डरे रौंद डालना तुम उसको, अपने ही पैरों तले! गर इससे भी,जब बने ना कोई बात!! तुम चाहो तो बेफिकर उसको चीर डालना, हां! डर की सारी जंजीर तुम तोड़ डालना। ©smriti ki kalam se शेरनी