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पर्वतों के पार, फूलों के द्वार, बसा है मानों, ए

पर्वतों के पार, 
फूलों के द्वार, 
बसा है मानों, 
एक और संसार। 
       इतराती हवाएं, 
       बलखाती धार, 
       मनमोहक नदी, 
       अनोखा श्रृंगार। 
उतरकर नभ से,
लेकर उपहार, 
झिलमिल किरणें,
करती हैं प्यार। 
       शजर सुहावने,
       छाँव की कतार, 
       चंचल चिड़ियों की, 
       चलती तकरार। 
पर्वतों के पार, 
एक और संसार।

©Anand Dadhich #Nature #kaviananddadhich #poetananddadhich #पर्वतोंकेपार

#meditation
पर्वतों के पार, 
फूलों के द्वार, 
बसा है मानों, 
एक और संसार। 
       इतराती हवाएं, 
       बलखाती धार, 
       मनमोहक नदी, 
       अनोखा श्रृंगार। 
उतरकर नभ से,
लेकर उपहार, 
झिलमिल किरणें,
करती हैं प्यार। 
       शजर सुहावने,
       छाँव की कतार, 
       चंचल चिड़ियों की, 
       चलती तकरार। 
पर्वतों के पार, 
एक और संसार।

©Anand Dadhich #Nature #kaviananddadhich #poetananddadhich #पर्वतोंकेपार

#meditation