प्रकृति स्वयं ही चुन लेगी... वो जिसे रखना चाहेगी... और जो आपको रहना है तो करना होगा संघर्ष... सिद्ध करनी होगी अपनी ‘उत्तरजीविता’ उसके समक्ष प्रेम करना होगा प्रकृति से.. कि सृष्टि भी आपके संग समृद्ध और स्वस्थ होकर आगे बढ़ना चाहे... हाँ.. तब प्रकृति भी आपके प्रेम में होगी। अबोध_मन//“फरीदा ©अवरुद्ध मन प्रकृति स्वयं ही चुन लेगी... वो जिसे रखना चाहेगी... और जो आपको रहना है तो करना होगा संघर्ष... सिद्ध करनी होगी अपनी ‘उत्तरजीविता’ उसके समक्ष प्रेम करना होगा प्रकृति से.. कि सृष्टि भी आपके संग