निर्वासित से दिखने वाले एक बूढ़ा और एक बुढ़िया उस पब्लिक पार्क की बेंच पर बैठे हुए ऐसे दिख रहे थे मानो घर क़े उपेक्षित कोने वाले कबाड़खाने मे घिसी छिद्रित कुचली हुई एक पुरातन जूतों की जोड़ी चीखते हुए मन से दया की गुहार कर रही हो निर्वासित.......