मैं ठहरा खुली क़िताब सा, तुम अव्वल दरजे की अनपढ़ प्रिये, सामने खड़े इन्सान की मानसिक स्तिथि उजाड़, तुम देतीं घंटों मनोवैज्ञानिक से प्रवचन प्रिये, समान हक़ के हित में मुहिम चलाती तुम, इंसानियत से हो अनभिज्ञ प्रिये। #shayari #tej #roadsihavetraveled #kavita #love #life #feelings #emotions