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आकाशगंगाओं की लिपि..... आकाशगंगाओं की लिपि और रेश

आकाशगंगाओं की लिपि.....  आकाशगंगाओं की लिपि और रेशमी चादरों में अब सरासर असंतुलन देख रहा है कोई भी प्रलय आना यहां नामुमकिन नहीं मैं सुबह से देख रहा हूं चांद मुझे पूरा दिन दिखाई दिया मगर रात होते ही कहां छुप गया अंधेरे में डर के मारे मुझे उसका डर जानना है यह तो छोटी सी बात है पृथ्वी के कोने पर रख दिया है किसी ने पांव, वह पाव कोने पर नहीं रखा गया कान पर रखा गया, कान में होने लगा बहुत तेज दर्द तेज दर्द के बीच भी आ रही थी कला की आवाज़ें जिसमें इंकलाब का नारा था मगर अधूरा और प्यारा था| मुझे यह आवाज पहली बार सुनी थी जब मैं छत पर खड़ा था मेरा मन नहीं था कहीं और ध्यान लगाने का मगर लगातार आते बादलों ने मुझसे पूछ लिया बारिश का पता बारिश कहां लापता है मुझे खुद पता नहीं मगर मैंने इशारा कर दिया जमीन में लगे पत्थर की तरफ पत्थर है कि शिवजी है अगर शिवजी है तो हर सवाल का जवाब मिलेगा मगर तपस्या में लीन रहो जिस दिन तुम्हारे पास लीन होने की वजह होगी उस दिन तुमको आकाशगंगाओं की लिपि समझ आएगी |

सुसिल ग़ाफ़िल
आकाशगंगाओं की लिपि.....  आकाशगंगाओं की लिपि और रेशमी चादरों में अब सरासर असंतुलन देख रहा है कोई भी प्रलय आना यहां नामुमकिन नहीं मैं सुबह से देख रहा हूं चांद मुझे पूरा दिन दिखाई दिया मगर रात होते ही कहां छुप गया अंधेरे में डर के मारे मुझे उसका डर जानना है यह तो छोटी सी बात है पृथ्वी के कोने पर रख दिया है किसी ने पांव, वह पाव कोने पर नहीं रखा गया कान पर रखा गया, कान में होने लगा बहुत तेज दर्द तेज दर्द के बीच भी आ रही थी कला की आवाज़ें जिसमें इंकलाब का नारा था मगर अधूरा और प्यारा था| मुझे यह आवाज पहली बार सुनी थी जब मैं छत पर खड़ा था मेरा मन नहीं था कहीं और ध्यान लगाने का मगर लगातार आते बादलों ने मुझसे पूछ लिया बारिश का पता बारिश कहां लापता है मुझे खुद पता नहीं मगर मैंने इशारा कर दिया जमीन में लगे पत्थर की तरफ पत्थर है कि शिवजी है अगर शिवजी है तो हर सवाल का जवाब मिलेगा मगर तपस्या में लीन रहो जिस दिन तुम्हारे पास लीन होने की वजह होगी उस दिन तुमको आकाशगंगाओं की लिपि समझ आएगी |

सुसिल ग़ाफ़िल