वो कैसे घर में मेरी बात चलाए, मैं मोहब्बत के सिवा करता क्या हूं। घर वाले पूछ बैठे अगर कि वो कमाता कितना है, तो वो कैसे बोलेगी पानी भी न मिले वो घर लाता इतना है। बिना तेल की सब्जी और सुखी रोटी खाता है, ज्यादा भूख लगे तो वो कसम मेरी खाता है। दो पैसे की तलाश में मिलो वो चला जाता है, वो आशिक है मेरा मेरे लिए सब करता है। बात सुन उसकी मां चिल्ला उठी उसकी, न होगा ब्याह न रचेगी उसकी मेंहदी। पापा तो और निराले, बोले उसे कैसे तेरे दिल से निकाले। प्यार से न भरता है पेट, खाने को न मिला तो कम हो जाएगा वेट। कैसे मैं उसको समझाऊं, कैसे मैं उसको मनाऊं। कैसे अपनी सच्ची मोहब्बत उसे बताऊं, कैसे उसको मां बाप की हां करवाऊं । ये सोच सोच के मैं टूट गया हूं, कई सारे टुकड़ों में बट गया हूं। दुखी मन से उसकी तरफ देखता हूं, जब उसकी आंखो में मैं अंशु देखता हूं। दिल मेरा करुणा से फट जाता है, मेरा रोम रोम विलाप में डूब जाता है। चाहत का ये खेल कितना निराला है, जिससे प्यार किया वही न हमारा है। पैसों के आगे झुक गई मेरी मोहब्बत, भीड़ में लूट गई मेरी मोहब्बत। एक राजकुमार आया और ले गया उसे, तड़प तड़प के मर गई मेरी मोहब्बत। ©Ashish Yadav i hope you like it, please share this one #touch