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Ashish Yadav

teacher

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Ashish Yadav

White हर वह सख्श अपना नहीं होता जो साथ हो,
यहां हर किसी ने कुछ सांप पाले हुए है।
समन्दर को शांत देख उसकी गहराई का अंदाजा लगाने वाले,
कई यहां गलतफैमी पाले हुए है।
गुरूर है एक सख्श को अपनी बादशाहत का,
आखिर उस बादशाह ने भी कुछ चाटुकार पाले हुए है।
एक दिन आएगा की उसकी कुर्सी भी डगमगाएगी,
देर से ही पर समंदर में भी तूफान आएगा जरूर।
और ऐसे हजारों चमचों को वो निगल जाएगा,
जो सांप पाले है वो भी बच के किधर जाएगा।
गैरों की इस भीड़ में अपने भी मिल जाएंगे,
जिस दिन उस बादशाह को भी शिकस्त दी जाएगी।

©Ashish Yadav #sad_shayari
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Ashish Yadav

White बुझ जाते है कुछ दियें हवा के झोंके से,
हर बार बेवफाई हवा नहीं करती।
छूट जाते है कुछ रिश्ते जीवन में भी,
हर किसी को हम ऐसे छोड़ा नहीं करते।
बारिश में मुझे भीगा देख  वो क्या खूब हंसता है,
अब मेरे अंशु भी उसे पानी लगते है।
कुछ रिश्तों को तोड़ना जरूरी होता है,
क्योंकि हर बार गलती किसी एक की ना होती।

©Ashish Yadav #weather_today
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Ashish Yadav

White नदी के किनारे एक शाम कुछ बाते लिखी,
कुछ अधूरी तो किसी की कहानी पूरी लिखी।
तन्हा तन्हा सा था वो सागर,
सुन के मेरी गजले वो भी मचल गया।
इन नगमों को पढ़ के आकाश भी अंशु ना रोक सका,
थक हार के वो भी बरस पड़ा।
कुछ हरियाली छाई थी वहां,
बाते इतनी हुई की पेड़ भी दुख में मुरझा से गए।
अंत में मैं अपने घर को लौट आया,
जहां ना कोई समझा ना मैं किसी को समझा पाया।
शाम को क्या देखा ये किसे बताऊं,
उस कहानी का शीर्षक किसे बनाऊं।
इस सफर में अब मैं थक सा गया हूं,
अपनी ही कहानी का पात्र मैं बन सा गया हूं।

©Ashish Yadav #good_morning_quotes
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Ashish Yadav

White वो आए भी उस पल,
जब हम दो पल के मेहमान थे।
रोए भी वो और हमसे माफी भी मांगी,
पर अफसोस हम उन्हें माफ ना कर सके।
अब वो जीवन भर साथ निभाने को तैयार थे,
लेकिन मेरे दोस्त मुझे कंधो पे उठाए हुए थे।
जला के मुझे जब वापस आए सब लोग,
खिलखिला के हंसती मिली वो हर रोज।
खाई थी जो कसमें उसने साथ मरने की,
मेरे मरते ही वो कसमें भी झूठी हो गई।
जीवन के हर दौर में जो मेरे साथ होना चाहते थे,
मेरे जाते ही वो किसी और के हो गए।

©Ashish Yadav #Sad_shayri
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Ashish Yadav

मोहब्बत का अपना ही एक फसाना  है,
खुद ही रूठ के रूठी हुई प्रेमिका को मनाना है।
उसका वो एक खत बार बार पढ़ते जाना है,
अपनी प्रेमिका संग इस प्रेमी को जीवन के अंतिम मोड़ तक जाना है।
राह लंबी है पर दूर तक जाना है,
उसकी आंचल की छाव में थक के फिर सो जाना है।
उसके नयन रूपी सागर में फिर से गोते लगाना है,
इस प्रेमी को अपनी प्रेमिका से एक बार फिर से प्रेम करना है।

©Ashish Yadav #longdrive
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Ashish Yadav

अगर तुम खुद्दार हो तो अपनी खुद्दारी की कीमत बताओ,
मैंने सुना है आज कल स्कूल में सब बिकता है मैं उसे खरीदना चाहूंगा।
मुझे पता है यहां गरीबों की गरीबी बिकती है,
 बच्चो के सपने ही नहीं उनके मां बाप के अरमान बिकते है।
कॉपी किताबो तक तो ठीक था,
 यहां तो वफादारों की वफादारी बिकती है।
मान बिकता है अभिमान बिकता है,
यहां तो टीचर का सम्मान बिकता है।
किसी ने सही ही कहा है,
आज कल स्कूल में सब बिकता है।

©Ashish Yadav #raindrops
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Ashish Yadav

टूटे तो हम भी बहुत है,
कभी अपने से तो कभी अपनो की वजह से ।
पर कमबख्त हम मुस्कुराए भी बहुत है,
कभी खुद के लिए तो कभी अपनो के लिए।
चलते चलते कई बार रुक जाने का खयाल आया,
पर हम आगे बढ़ते रहे कभी अपने लिए तो कभी अपनो के लिए।
जीवन में ना जाने क्या क्या न देखा,
कभी अपनो में गैरों को तो कभी गैरों में अपनो को देखा।
मतलब के लिए लोगो को बदलते देखा, अपनो को भी दूर जाते देखा,
पर हम जीवन जीवन जीते रहे कभी अपने लिए तो कभी अपनो के लिए।

©Ashish Yadav #girlfriendproposeday
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Ashish Yadav

अगर कभी कहूं की मुझे मोहब्बत है तुमसे,
तो मुझे आवारा दीवाना ना समझना।
जग जाहिर है मेरा प्रेम तुम्हारे लिए,
इसे कभी किसी और से कंपेयर ना करना।

©Ashish Yadav #76thMahatmaGandhiPunyatithi
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Ashish Yadav

लिखते लिखते साम हो गई,
लेकिन उस पल के बारे में लिखा ना गया।
उसके लिए रोते रोते आंसू सूख गए,
लेकिन दिल खोल के हमसे रोया ना गया।
जैसे तैसे उसके बिना हमारे दिन बीते,
पर रात को उसे भुलाया ना गया।
साथ साथ वो चल रही थी मेरे,
किस पल वो बिछड़ गई हमे पता ही ना चला।
कसमें तो उसने भी खाई थी साथ निभाने की,
पर पता नहीं क्यों उस्से साथ निभाया ना गया।

©Ashish Yadav #seashore
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Ashish Yadav

पहले हम लायक थे,
अब थोड़े नालायक बन गए है।
जबसे आप से मिले है,
हम शायर बन गए हैं।
गुमशुदा से रहते थे,
अब अखबार हो गए है।
लिख लिख के शायरियाँ,
हम शायर बन गए हैं।

©Ashish Yadav #SunSet
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