आज निकले थे वो सामने से, कोई भाव नजर नहीं आया, हा मेरे चहरे पर भी प्यार नजर नहीं आया, आंखे फेर ली थी दोनों ने, पर दिल को एतबार नहीं आया, कुछ पल ओर देखने की चाहता थी, पर लबो से कहना नहीं आया, गुजर जाने दिया हमने भी उन्हे, मुझ में मानने को हिम्मत नहीं थी, मे आज फिर तनहा ही रहा, मुझ मै उसे बुलाने की हिम्मत नहीं रही। ©Nitish Sharma तनहा