#Pehlealfaaz अनुसरण औऱ अनुकरण की चार दीवारी मे जो बंदीहैँ जीवन नहीं मृत्यु का ही विस्तार हैँ क्योंकि वो जिस सांचे से ढल कर आया हैँ वह उसी अनुशासन की विकृत छाया हैँ तमाम परम्पराये औऱ लिप्त घोषणाएं अतीत की स्मृतियों का हिस्सा हैँ औऱ आदते हमारी उन सांचो की प्रतिमाये हैँ इसीलिए तो जीवन हमारा खोखला हैँ उथला हैँ खोखला जीवन