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तू भी नहीं आता अब न तेरी याद आती हैं फिर भी नींद क

तू भी नहीं आता अब न तेरी याद आती हैं
फिर भी नींद क्यूँ नहीं मुझको रात आती है

                          एक हमारी छत को बूँदें भी नहीं नसीब  
                            बाक़ी सारे शहर में रोज़ बरसात आती है 

जुआ खेला है तो फिर क्यों शिक़वा करना 
 कोई जीतता है हिस्से किसी के मात आती है 

                          जिंदगी जीना भी यहाँ आसान नहीं है मग़र 
                             मुश्किलें जब भी आती हैं एक साथ आती हैं #सवाल_कितने_हैं
तू भी नहीं आता अब न तेरी याद आती हैं
फिर भी नींद क्यूँ नहीं मुझको रात आती है

                          एक हमारी छत को बूँदें भी नहीं नसीब  
                            बाक़ी सारे शहर में रोज़ बरसात आती है 

जुआ खेला है तो फिर क्यों शिक़वा करना 
 कोई जीतता है हिस्से किसी के मात आती है 

                          जिंदगी जीना भी यहाँ आसान नहीं है मग़र 
                             मुश्किलें जब भी आती हैं एक साथ आती हैं #सवाल_कितने_हैं