हर शै बांटी है हमने एक दुसरे के साथ दाना पानी कपड़े लत्ते नींदे और जगराते भी औलादो को जनने से लेकर बसने तक के. सलीके मिलन के सुख और बिछोह की पीड़ाये भी जबकि मेरी पीड़ाये तुमसे होकर गुजरति रही और तुम्हारी खुशियाँ. मुझसे गुजर कर बहती रही तभी तो शिकवे शिकायतों का दौर चलता रहा निर्बाध रूप से और हमारे प्रेम को त्वरा भी मिलती रही इसीलिए तो हमने जीवन को उत्साह पूर्वक जिया भी लेकिन कब तक........... क्या करेँगे ज़ब सारी संचित स्मृतीया दम तोड़ देंगी किसी. दिन और हमें तन्हाइयो की चदरिया ओढ़ कर. चिर निद्रा मे एक लम्बा विश्राम लेना पड़ेगा l हर शै बांटी है हमने... ......