अपना शीष न्योछावर करने वालों के लिए। ताज मायने नहीं रखते हैं, इन भालों के लिए। फुर्सत मिले तो पूछना किसी दिए से जाकर, कितना जलना पड़ता है तुम्हें उजालो के लिए। रखना सम्हालकर कदम रास्ते पथरीले है, मरहम नही मिलती है यहां छालो के लिए। चुप रहना, चुप रहने में ही तेरी भलाई है, जवाब कम पड़ते हैं, मासूम सवालों के लिए। हर गली में शिकारियों ने डाल रखा है डेरा, वो परिंदे तलाश रहे है, अपने जालों के लिए। अगर सोचता है तो गलत सोचता है "कुमार" ज़माना सलाम नही ठोकेगा तेरी चालों के लिए। ©N Kumar #युद्ध