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वो गहरे जख्मों को देखकर मुंह मोड़ना हालातों को हद

वो गहरे जख्मों को देखकर मुंह मोड़ना 
हालातों को हद दर्जे भुलाकर छोड़ना 

महंगा पड़ेगा भेद के मूल तत्व को नहीं पहचानना
अपने लिए खड़े होने को भी बोझ जैसा  मानना 

वो अपने शैतान केलिए कुर्बानी नहीं छोड़ता 
और तू अपनी पहचान से भी रहता है मुंह मोड़ता

मेरे ही घर में पनाह मांग आंखें दिखाने वाले 
और पृथ्वीराज चौहान की आंखें जलाने वाले 

किस तरह से किसी भरोसे के लायक है
छीन लेंगे जर जमीन जोरू इतने नालायक है 

 केवल एकमात्र मौके की तलाश में है,,
आप किस महजब के विश्वास में है 

देखा है कश्मीरी पंडितों के प्रेम और सौहार्द का नतीजा 
 कुम्भकरणी नींद से और भी भयंकर हो जाएगा फजीता

सखी कम से कम छह महीने में तो जागता था कुंभकर्ण 
सैकुलर जयचंद छः सौ सालों से सपनों में करते विचरण 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla निजता  KK क्षत्राणी  R Ojha  Vikram vicky 3.0  Lalit Saxena  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Bhardwaj Only Budana
वो गहरे जख्मों को देखकर मुंह मोड़ना 
हालातों को हद दर्जे भुलाकर छोड़ना 

महंगा पड़ेगा भेद के मूल तत्व को नहीं पहचानना
अपने लिए खड़े होने को भी बोझ जैसा  मानना 

वो अपने शैतान केलिए कुर्बानी नहीं छोड़ता 
और तू अपनी पहचान से भी रहता है मुंह मोड़ता

मेरे ही घर में पनाह मांग आंखें दिखाने वाले 
और पृथ्वीराज चौहान की आंखें जलाने वाले 

किस तरह से किसी भरोसे के लायक है
छीन लेंगे जर जमीन जोरू इतने नालायक है 

 केवल एकमात्र मौके की तलाश में है,,
आप किस महजब के विश्वास में है 

देखा है कश्मीरी पंडितों के प्रेम और सौहार्द का नतीजा 
 कुम्भकरणी नींद से और भी भयंकर हो जाएगा फजीता

सखी कम से कम छह महीने में तो जागता था कुंभकर्ण 
सैकुलर जयचंद छः सौ सालों से सपनों में करते विचरण 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla निजता  KK क्षत्राणी  R Ojha  Vikram vicky 3.0  Lalit Saxena  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Bhardwaj Only Budana