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मैं अब मरूँ के जियूँ मुझ को ये ख़ुशी है बहुत उसे स

मैं अब मरूँ के जियूँ मुझ को ये ख़ुशी है बहुत
उसे सुकूँ तो मिला मुझ को बद-दुआ दे कर
कटी हुई है ज़मीं कोह से समंदर तक
मिला है घाव ये दरिया को रास्ता दे कर

©Neeraj Neer
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