ये जमुरियत तो अब साहूकारों की ज़ायदाद हो चुकी इस तंत्र मे रहने वाली शोषित प्रज़ा को अब इसका मूल्य चुकाना होगा जो दिन भर पसीन्ना बहाकर अभी सांझ को घर पंहुचा है कल फिर उसे ताज़ा बन कर जंग ए मैदान मे उतरना होगा सूरज का उजाला अब यहां कहाँ चमकता है अब तो यहां हर रात क़े बाद फिर रात को ही उतरना होगा हमने इंसान की यशस्वी गाथएं कई बार सुन रखी है पर इंसान ने जो पीड़ाएँ झेली अन्याय भुगते उसे भी अब हमें जानना होगा हर युग मे सीता चुराई जाती रही और उसे अग्नि परिक्षा से अपनी बेगुनाई साबीतकरनी पड़ी क्या आने वाले युगो मे भी सीता को हर बार अग्नि परीक्षण से गुजरना होगा.? ©Parasram Arora अग्नि परिक्षण.....