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एक शायरी लिखी है,, कभी मिलोगी तब सुनाऊंगा। एक उम्र

एक शायरी लिखी है,,
कभी मिलोगी तब सुनाऊंगा।
एक उम्र लेकर आना
मैं खाली किताब लेकर आऊंगा,,

तोड़कर लाने के वादे नहीं,
मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा।
इस ज़मीन पर,
कोई खास नही है मेरा
अगर तू एक बार कुबूल करे
मैं अपने गवाहों को आसमान से बुलाऊंगा।।

एक शायरी लिखी है,
कभी मिलोगे तब सुनाऊंगा।

©Prakash writer05
  #एक शायरी लिखी है,,
कभी मिलोगी तब सुनाऊंगा।
एक उम्र लेकर आना
मैं खाली किताब लेकर आऊंगा,,

तोड़कर लाने के वादे नहीं,
मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा।
इस ज़मीन पर,

#एक शायरी लिखी है,, कभी मिलोगी तब सुनाऊंगा। एक उम्र लेकर आना मैं खाली किताब लेकर आऊंगा,, तोड़कर लाने के वादे नहीं, मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा। इस ज़मीन पर, #लव

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