अब उनको ये जा के तुम ये खबर कर दो थोड़ी सी अब मेरे लिए तुम कबर कर दो। ख़तम हो गया सफर ए मंज़िल का मेरे नाम तुम अब ये कब्रस्तान कर दो। उठी है डोली आज आगन से उनके तो फिर अब दोस्तो मेरे जनाजे को तुम कंधे देदो। बहोत सारे सपने रखे थे,इन आंखों में अब उसे दफनाने की मुझे इजाजत देदो। दे दिया जख्म जिंदगी ने कुछ ऐसा मौत के मुझे तुम अब हवाले कर दो। छूट रहा है आज हाथ से हाथ उनका हस्के तुम मुझे आज रुखसद कर दो। आखिर तुम जाके सिर्फ एक खाता कर दो दोस्त आज उन्हें मेरी कबर का पता कर दो। "कौशल"।