मेरे दिल पर रोज़ कटारी चलती है। धीरे धीरे दुनिया-दारी चलती है।। , कहने को है ज़िस्म हमारा ज़िंदा पर। देखों कैसे लाश हमारी चलती है।। , सारे प्यादे मरते है रफ़्ता रफ़्ता। रानी घर से अपनी बारी चलती है।। , मेरी बातें लगती है, झूटी सबको। इस दुनियां में सिर्फ़ तुम्हारी चलती है।। , छोड़ने वाले साथ नहीं जा पाते है। ऐसा झटका देकर गाड़ी चलती है।। , ख़ून से लतपथ मैं भी अक्सर होता हूँ। पेड़ पे जैसे जैसे आरी चलती है।। #रमेश ©Ramesh Singh