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हर तरफ अफ़वाहों का जाल बिछा हुआ हैं अपना काम छोड़

हर तरफ अफ़वाहों का जाल बिछा हुआ हैं
अपना काम छोड़ के
दुसरो के घर मे  कान लगा हुआ हैं
सराफत बची नहीं
शरीफ ऐसे बन रहे हैं
जैसे पानी मे गंगा जल मिला हुआ हैं
मौसम और हमसफर सब बदल रहे हैं
मुह पे ये आप के हैं
पीछे से टांग खींच रहे हैं
खुशी बर्दास्त नही होती
दुख मे आँख पोछ रहे हैं
पहले तार था तो
हाल  पूछते थे
अब हाल जान के, हाल पे छोड़ते हैं
गजब का जमाना  आ गया है
अपने होकर दूसरों के सामने मुंह खोलते हैं
बात बात पर बात बर्दाश्त नहीं होती
कहते हैं हर बात बर्दास्त किये बैठे हैं।।

©Ankita Shukla
  #lonelynight हर तरफ अफ़वाहों का जाल बिछा हुआ हैं
अपना काम छोड़ के
दुसरो के घर मे  कान लगा हुआ हैं
सराफत बची नहीं
शरीफ ऐसे बन रहे हैं
जैसे पानी मे गंगा जल मिला हुआ हैं
मौसम और हमसफर सब बदल रहे हैं
मुह पे ये आप के हैं

#lonelynight हर तरफ अफ़वाहों का जाल बिछा हुआ हैं अपना काम छोड़ के दुसरो के घर मे कान लगा हुआ हैं सराफत बची नहीं शरीफ ऐसे बन रहे हैं जैसे पानी मे गंगा जल मिला हुआ हैं मौसम और हमसफर सब बदल रहे हैं मुह पे ये आप के हैं #शायरी

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