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तंग हालात है, घर में न भात है,, टूटी पड़ी खाट है,

तंग हालात है, 
घर में न भात है,,
टूटी पड़ी खाट है, 
फिर भी लोग कह रहे वाह!क्या बात है। 
मुख में बचा न दांत है, 
पेट पर पड़ रही लात है,,
दर्द में कट रही रात है, 
फिर भी लोग कह रहे हैं वाह!क्या बात है। ।
खाने की अब न औकात है, 
केवल उमड़ रहा ज़ज्बात है,,
खाली अब हाथ है, 
फिर भी लोग कह रहे वाह!क्या बात है। 
लालच का दौर आज है, 
दिल में छुपा कोई राज है,,
तन में बचा न कोई लाज है ,
फिर भी लोग कह रहे वाह!क्या बात है ।।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले 
खुद की जुबानी। ।

©Santosh Verma
  #वाह!क्या बात है##वाह
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Santosh Verma

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#वाह!क्या बात है##वाह #कविता

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