ये शिखर कभी वसुधा से नही मिलता, लगे आग तो उठता धुंआ नही मिलता, सब कुछ हार जाऊ वो जुआ नही मिलता, जब रास्ते हो जर्जर, जाने क्यों अब खुदा नही मिलता ।। ये धार उस धार से नही मिलता, कभी कोई मजधार पर नही मिलता उस राग सा कोई झनकार नही मिलता, गिर जाऊ तो कोई अट्हास नही मिलता घूम के थक चुका हूं वो रास्ता अब नही मिलता।। इस अंधेरे में कोई दिया नही मिलता, लाख हो सब्र ये जिया नही मिलता कैद से रिहा हो कर वो नही मिलता अब मेरे किरदार से मीरा साया भी नही मिलता।। खोया बचपन अब नही मिलता, अब आलम है ये की मर कर भी कफ़न नही मिलता।। होश गुमाये वो नशा नही मिलता जाम नही मिलता खामियों पर कोई सजा नही मिलता इन अखबारों में कुछ नया नही मिलता हुकुमत को कभी सजा नही मिलता।। मेरे सतरंज में कोई वजीर नही मिलता यहा मुझ सा कोई फकीर नही मिलता मेरे खुदा सा कोई बेनजीर नही मिलता।। मुझ सा हर कोई वक़्त पर हाजिर नहीं मिलता *गुलशन* में अब वो फूल नही मिलता, आईने में मैं खुद नही मिलता बैठ जाऊ गर दरख्तों के पास अब छाव नही मिलता।। #hindiurdupoem #thoughts #motivational #life #inspiration #longpoetry