इस ख़ामोशी का कारण क्या समझूँ, जिस ख़ामोशी में भी तूफान का बवंडर है। जीते जागते शमशान बने फिरते हो, ज़िन्दगी भी बन चुकी अब एक समन्दर है। बहुत ज़िन्दगी के तजुर्बे तुम कर चुके, मग़र न खत्म होने वाला शोर तुम्हारे अन्दर है। अन्दर के शोर को खत्म करोगे कैंसे, तुम पे कब्ज़ा जमाने वाला इतना धुरन्धर है। कैंसे बचोगे जब तक नहीं जानोगे, भीतर सब के मन में हमेशा एक कलन्दर है। ख़ामोश शोर तुम शान्त कर पाओगे तभी, जब जानोगे तुम्हारा प्रीतम रूह के अन्दर है। यहीं तो तुम जानना नहीं चाह रहे, आैर खोजते फिर रहे बाहर,अन्दर जो जन्तर मन्तर है। #बवंडर #कलन्दर = दरवेश #प्रीतम = भगवान् #जन्तरमन्तर= जादू-टोना #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes