ज़िंदगी की नीव/एग्जाम/मेहनत.... मेरी ज़िंदगी की नीव ये,सारी मेहनत की झील ये.... नीव रखते रखते ही,ना जाने .... उसे तोड़ने के खातिर,कई चोर आए,तो कई ढोंगी.... पर फिर भी,मैं नीव रखता ही गया,और मेहनत करता गया.... पर ना जाने क्यूं,कभी नीव हिलता सा नज़र आए.... तो कभी ईंट गिरता सा नज़र आए.... फिर भी,इन ईंटों को जोड़ -जोड़.... नीव तैयार करता ही जाऊं,और ये आस लगाता ही जाऊं.... कि इक दिन ये नीव,इतनी मजबूत बन जाएगी.... कि उसे तोड़ने की कोशिश करने वालों की...... सारी मेहनत ही बर्बाद हो जाएगी..... ©purvarth #मेहनत #विद्यार्थी_जीवन #BookLife