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हवाओ से मैं सुनता हूँ दास्ताँ तेरी। उनकी सरसराहट

हवाओ से मैं सुनता हूँ दास्ताँ तेरी।
उनकी सरसराहट तेरी पाजेब जैसी है।।

आओ तुमको बात दूं हैसियत तेरी।
मेरे दिल के दफ्तर में,साहेब जैसी है।।

इश्क़ की बात ईमान की बात मगर।
जमाने की नज़र क्यो चंगेज़ जैसी है।।

मुझे मौसमो का खौफ न रहा कभी।
मेरी सादगी को खौफ तू रंगरेज़ जैसी है।।

मुझसे कहता है फलां किया,यहां किया।
दुनियावी बातें है,हैरतअंगेज़ कैसी है।।

वो मार ही डालेगा,अपने जमीर को।
उसकी भूख निर्भय दहेज़ जैसी है।। #AAWAAZ #Shayri #Gazal #Dahez #Nojoto_Originals #Vichar
हवाओ से मैं सुनता हूँ दास्ताँ तेरी।
उनकी सरसराहट तेरी पाजेब जैसी है।।

आओ तुमको बात दूं हैसियत तेरी।
मेरे दिल के दफ्तर में,साहेब जैसी है।।

इश्क़ की बात ईमान की बात मगर।
जमाने की नज़र क्यो चंगेज़ जैसी है।।

मुझे मौसमो का खौफ न रहा कभी।
मेरी सादगी को खौफ तू रंगरेज़ जैसी है।।

मुझसे कहता है फलां किया,यहां किया।
दुनियावी बातें है,हैरतअंगेज़ कैसी है।।

वो मार ही डालेगा,अपने जमीर को।
उसकी भूख निर्भय दहेज़ जैसी है।। #AAWAAZ #Shayri #Gazal #Dahez #Nojoto_Originals #Vichar