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हर्फ़ ख़ुद जहन से आओ बुलाया न जायेगा ग़ज़ल ख़ुद ब ख़ुद

हर्फ़ ख़ुद जहन से आओ बुलाया न जायेगा 
ग़ज़ल ख़ुद ब ख़ुद बनेगी बनाया न जायेगा 

वो पत्थर है नींव का,नारी घर परिवार की 
ख़बरदार उसे तिल भर हिलाया न जायेगा 

स्वाद ख़ुद आता है उसके बनाये खाने में 
अम्मा के स्वाद में कुछ मिलाया न जायेगा 

जब तलक वो गिरता नहीं अपनी निगाह में 
किसी और की निगाह में गिराया न जायेगा

तुम्हारी नजरों में होगा वो कागज मामूली 
मेरे पिता का खत है वो जलाया न जायेगा 

जिसे झुकने को कहा जायेगा झुकेगा वही 
समंदर  कभी नदी में समाया न जायेगा

मर्जी रही तेरी अब बना दे मुझे या मिटा दे 
हाल-ए-दिल ये तुझसे छुपाया न जायेगा

©अज्ञात #गजलकरण
हर्फ़ ख़ुद जहन से आओ बुलाया न जायेगा 
ग़ज़ल ख़ुद ब ख़ुद बनेगी बनाया न जायेगा 

वो पत्थर है नींव का,नारी घर परिवार की 
ख़बरदार उसे तिल भर हिलाया न जायेगा 

स्वाद ख़ुद आता है उसके बनाये खाने में 
अम्मा के स्वाद में कुछ मिलाया न जायेगा 

जब तलक वो गिरता नहीं अपनी निगाह में 
किसी और की निगाह में गिराया न जायेगा

तुम्हारी नजरों में होगा वो कागज मामूली 
मेरे पिता का खत है वो जलाया न जायेगा 

जिसे झुकने को कहा जायेगा झुकेगा वही 
समंदर  कभी नदी में समाया न जायेगा

मर्जी रही तेरी अब बना दे मुझे या मिटा दे 
हाल-ए-दिल ये तुझसे छुपाया न जायेगा

©अज्ञात #गजलकरण