Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं एक दिन इतना इत्र लगाऊंगा खुदा की सबसे पसंदीदा

मैं एक दिन इतना इत्र लगाऊंगा 
खुदा की सबसे पसंदीदा चीजें मेरी होगी....  मेरा अंदर कई दिनों से मर जा रहा है जैसे धीरे-धीरे कटते हैं कंठारों से पत्थर मिट्टी.... अजीब सी बेचैनी घुटन घर बनाने लग गई है न जाने कहां कहां से लाई गई ईंटों से मेरे अंदर का अंदर से इतना अपरदन हो गया है कि मैं बहुत हल्का सा महसूस करता हूं इतना हल्का कि अब मुझसे विचारों का भी बोझ नहीं सहा जाता.... हर पल खोया रहता हूं अपने अंदर ही आए गए विचारों के रिश्तेदारों से बातचीत करने का मौका ही नहीं मिलता मेरे माथे के ठीक नीचे दो लगी खिड़कियों से मुझे ठीक उतना ही दिखता है जितना अंधेरे मैं लगे दीपक की तलहटी
मैं एक दिन इतना इत्र लगाऊंगा 
खुदा की सबसे पसंदीदा चीजें मेरी होगी....  मेरा अंदर कई दिनों से मर जा रहा है जैसे धीरे-धीरे कटते हैं कंठारों से पत्थर मिट्टी.... अजीब सी बेचैनी घुटन घर बनाने लग गई है न जाने कहां कहां से लाई गई ईंटों से मेरे अंदर का अंदर से इतना अपरदन हो गया है कि मैं बहुत हल्का सा महसूस करता हूं इतना हल्का कि अब मुझसे विचारों का भी बोझ नहीं सहा जाता.... हर पल खोया रहता हूं अपने अंदर ही आए गए विचारों के रिश्तेदारों से बातचीत करने का मौका ही नहीं मिलता मेरे माथे के ठीक नीचे दो लगी खिड़कियों से मुझे ठीक उतना ही दिखता है जितना अंधेरे मैं लगे दीपक की तलहटी

मेरा अंदर कई दिनों से मर जा रहा है जैसे धीरे-धीरे कटते हैं कंठारों से पत्थर मिट्टी.... अजीब सी बेचैनी घुटन घर बनाने लग गई है न जाने कहां कहां से लाई गई ईंटों से मेरे अंदर का अंदर से इतना अपरदन हो गया है कि मैं बहुत हल्का सा महसूस करता हूं इतना हल्का कि अब मुझसे विचारों का भी बोझ नहीं सहा जाता.... हर पल खोया रहता हूं अपने अंदर ही आए गए विचारों के रिश्तेदारों से बातचीत करने का मौका ही नहीं मिलता मेरे माथे के ठीक नीचे दो लगी खिड़कियों से मुझे ठीक उतना ही दिखता है जितना अंधेरे मैं लगे दीपक की तलहटी