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राहें चलती भी है दौड़ती भी है वो भी बिना थके और ब

राहें चलती भी है
दौड़ती भी है
वो भी 
बिना थके और बिना रुके।
बस... 
राही ही रुक जाते हैं
कभी थककर, तो
कभी टूटकर।
राह कोई भी हो
राही अक्सर ढूंढ ही लेते हैं
उसे दर - दर भटक कर।
ठीक उसी तरह
इंतजार है मुझे भी
एक ऐसी राह का
जो मिला सके
मेरे बिछड़े
मन के उस मीत से।
जिसके बिना
मैं रीत चुका हूं
बीत चुका हूं।
हां...
इन राहों में
कोई तो राह ऐसी होगी
जो जाती होगी
उसके गेह तक।
और वो जब से 
बिछड़ा है मुझसे
मैं तब से राहों में हूं
उसके इंतजार में
कि कोई तो राह
यकीनन 
मुझे मिलेगी
जो ले जायेगी
मुझे उस तक
या उसके ठौर तक।
हां...इन राहों से
मैंने भी सीखा है
चलना, दौड़ना, भटकना
और कभी ना थकना।
क्योंकि राहें ना रुकती है
ना थकती है।
बस थक जाते हैं, तो
सिर्फ राही। 

#पथिक

©Raj sarswat
  राहें...
rajsarswat3611

Raj sarswat

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राहें... #कविता #पथिक

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