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रची तुमने कितनी ऋचायें, काव्य, कथा और कविताएँ, भरे

रची तुमने कितनी ऋचायें,
काव्य, कथा और कविताएँ,
भरे रंग और उभारी रेखाएँ,
कृतियों में सर्व सौंदर्य समाये।
पर ये सब तुम्हारी कल्पना है,
जिनमें हर्ष है,कल्लोल है,
मेरी करूणा,कामुकता है,
तुम्हारे कलम से कही गयी
मेरी बीती और बात है।
मेरी लेखनी से मेरे संवाद
लिखे जाने अभी बाकी है,
मेरे अंदाज में मेरी बात
कही जानी अभी बाकी है । रची तुमने कितनी ऋचायें,
काव्य, कथा और कविताएँ,
भरे रंग और उभारी रेखाएँ,
कृतियों में सर्व सौंदर्य समाये।
पर ये सब तुम्हारी कल्पना है,
जिनमें हर्ष है,कल्लोल है,
मेरी करूणा,कामुकता है,
तुम्हारे कलम से कही गयी
रची तुमने कितनी ऋचायें,
काव्य, कथा और कविताएँ,
भरे रंग और उभारी रेखाएँ,
कृतियों में सर्व सौंदर्य समाये।
पर ये सब तुम्हारी कल्पना है,
जिनमें हर्ष है,कल्लोल है,
मेरी करूणा,कामुकता है,
तुम्हारे कलम से कही गयी
मेरी बीती और बात है।
मेरी लेखनी से मेरे संवाद
लिखे जाने अभी बाकी है,
मेरे अंदाज में मेरी बात
कही जानी अभी बाकी है । रची तुमने कितनी ऋचायें,
काव्य, कथा और कविताएँ,
भरे रंग और उभारी रेखाएँ,
कृतियों में सर्व सौंदर्य समाये।
पर ये सब तुम्हारी कल्पना है,
जिनमें हर्ष है,कल्लोल है,
मेरी करूणा,कामुकता है,
तुम्हारे कलम से कही गयी