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बिगड़ते सुरो को मैं साज़ बनाता हूँ। मैं तुम्हारे कल

बिगड़ते सुरो को मैं साज़ बनाता हूँ। 
मैं तुम्हारे कल को आज बनाता हूँ।। 

समंदर परखती होंगी कस्तिया। 
मैं डूबते नावों को जहाज़ बनाता हूँ।। 

कितना चलना है ,कितना मंज़िल है दूर ।
मैं मिट्टी से कोहिनूर बनाता हूँ।। 

तपते जीवन में चाँदनी रात बनाता हूँ ।
एक इंसान में पूरा राष्ट्र बनाता हूँ।।
                      @gokul dedicated to all teacher....
#5sept
#teacherday
बिगड़ते सुरो को मैं साज़ बनाता हूँ। 
मैं तुम्हारे कल को आज बनाता हूँ।। 

समंदर परखती होंगी कस्तिया। 
मैं डूबते नावों को जहाज़ बनाता हूँ।। 

कितना चलना है ,कितना मंज़िल है दूर ।
मैं मिट्टी से कोहिनूर बनाता हूँ।। 

तपते जीवन में चाँदनी रात बनाता हूँ ।
एक इंसान में पूरा राष्ट्र बनाता हूँ।।
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#5sept
#teacherday
gokul5371992651540

gokul

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dedicated to all teacher.... #5sept #Teacherday #विचार