गधा गधा लोग कहतें हैं उसको जिसको नहीं विवेक कोई डंडा उसे दिखाता घुटने देता टेक कुछ भी पाता है खा लेता करता नहीं लडाई नफरत से सब उसे देखते कोई न कहता भाई मन का सच्चा तन का सीधा मेहनतकश है जीवन रहता सदा एक सा चाहे सूखा हो या सावन दुःख होता है बेखुद उसकी होती जब उपहास यही हस्र सीधे सच्चे का तब होती अहसास ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #गधा हिंदी कविता