ये माँ है वो चंदा मामा हमारा है, धरा से चाँद का रिश्ता पुराना है, करे रौशन हमारी रात को जब, चमक पाता नहीं कोई सितारा है, दिखे माशूक सा चेहरा फलक में, बिना उसके न कोई और प्यारा है, क़फ़स में क़ैद उसके दिल हमारा, बिना देखे न अब कोई गुजारा है, है दो-दो चाँद पानी और नभ में, सर्द है रात दरिया का किनारा है, चलो कश्ती में बैठो सैर कर आयें, मिले ना जीस्त में मौका दोबारा है, हरेक पल का नया प्रारूप गुंजन, वस्ल की रात का सुंदर नजारा है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सुंदर नजारा है#