मेरे जज़्बों ने जज़्बातों को कुछ ऐसा तोड़ा है। मेरे क़िस्सों ने सौग़ातों को मुझे ऐसा सौंपा है। क्यों तिल-तिल, गिर-उठ; सिमट-बिखर मैं संभला हूँ। क्यों बे-सिरपैर सा सरपट भाग मैं आज यहाँ आ पहुँचा हूँ। है दूर मंज़िल, और अक्सर ही ख़ामोश रैनों का सवेरा है। ये ग़ौरतलब सी बात तो है, ख़्वाबों पे इश्क़ का पहरा है। धावक #ishfaq series #calmkaziwrites #yqbaba #yqdidi #hindi #poetry #कविता #hindipoetry