**** बाल है मजबूर है, इसीलिए तो बाल मजदूर है ****** जिन हाथों में किताब चाहिए ,वो धन कमाने को मजबूर है दो वक्त की रोटी के लिए, बचपन उनका चूर चूर है बेबस आंखे पर ,दिल से वो मजबूत है । बाल है मजबूर है, इसीलिए तो बाल मजदूर है ***** खेल खिलौनों की दुनिया, से मिलो वो दूर है मेहनत करके रोटी खाना ,यही बस उसको मालूम है जिद शौक किससे करें, जब खुद ये परिवार का पेट भरे । बाल है मजबूर है, इसीलिए तो बाल मजदूर है ***** स्कूल के दरवाजे उनकी आंखों का बस नूर है पढ़ना किस्मत में कहां, मेहनत करने को मजबूर है खुशियों से वो कोसों दूर है ,कंधों पर जिम्मेदारी बस यही मालूम है। बाल है मजबूर है ,इसीलिए तो बाल मजदूर है ***** भर पेट रोटी मिले यही,सपना और सुकून है जीना है तो काम पर जाना, बचपन से यही ज्ञान पाया भरपूर है । *****बाल है मजबूर है ,इसीलिए तो बाल मजदूर है ।।"*****************" (कंचन यादव)। #antichildlabourday #बाल है मजबूर है ##इसीलिए तो बाल मजदूर है