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अब हमें सुबह का इंतज़ार नही.... कि अब हमें ज़िंदगी

अब हमें सुबह का इंतज़ार नही....
कि अब हमें ज़िंदगी से प्यार नही....
कि रात को गले लगाए.....
ना उम्मीद हुए बैठे हैं....
ग़म बढ़कर नासूर हो चला है...
कि अब आगे ख़ुशियों का कोई त्योहार नही....
कोई सपना मेरा साका

©Mukesh Kumar
  sayr
mukeshkumar9092

Mukesh Kumar

New Creator

sayr #शायरी

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