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बर नही आती अब उम्मीद मुझको, आने लगी है होश में नीं

बर नही आती अब उम्मीद मुझको,
आने लगी है होश में नींद मुझको,
ये कौन मुझ पर से मिट्टी उठा रहा है,
कौन करने जा रहा है तज़दीद मुझको,
लोग मेरा लिखा पढें, मेरा गम जिएं, महसूस करें,
मैं चाहता था बनाये परवरदिगार मुफीद मुझको...! ये कौन मुझ पर से मिट्टी उठा रहा है,
कौन करने जा रहा है तज़दीद मुझको....

तज़दीद- नए सिरे से शुरुआत
मुफीद- कामगार
बर नही आती अब उम्मीद मुझको,
आने लगी है होश में नींद मुझको,
ये कौन मुझ पर से मिट्टी उठा रहा है,
कौन करने जा रहा है तज़दीद मुझको,
लोग मेरा लिखा पढें, मेरा गम जिएं, महसूस करें,
मैं चाहता था बनाये परवरदिगार मुफीद मुझको...! ये कौन मुझ पर से मिट्टी उठा रहा है,
कौन करने जा रहा है तज़दीद मुझको....

तज़दीद- नए सिरे से शुरुआत
मुफीद- कामगार
sameerjain7336

Sameer Jain

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