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खलल पड़ गई तब लज्जत-ए-हयात में, उस-सा हसीन जब द

खलल पड़  गई  तब  लज्जत-ए-हयात  में,
उस-सा हसीन जब देखा इस  कायनात  में..

ये  प्यास  बुझेगी  अब  आब - ए - हयात  से,
उसका चेहरा हटता ही नहीं दिलों-दिमाग से..

सब   अंधेरा  लग   रहा   नूर - ए - हयात  में,
मुझे   फिक़्र   होती   हैं  तेरे बेरुख अंदाज़ से..

कभी भी जुदा न करना शरीक-ए- हयात से,
ऐ  खुदा  दुआ  हैं  मेरी   तुमसे  हर   बार  ये..

तूझे बस पाने की आरज़ू इस दौर-ए-हयात में,
मैं  खुद  को ही भूले  जा  रहा  हूँ  तेरे  याद में..

पहली जगह मिले तूझे मेरे रूदाद-ए-हयात में,
माँगुंगा  तेरी  खुशी  अपनी  आखरी  मुराद में..

©Bhavesh Thakur Rudra #Poetry 
#rain
खलल पड़  गई  तब  लज्जत-ए-हयात  में,
उस-सा हसीन जब देखा इस  कायनात  में..

ये  प्यास  बुझेगी  अब  आब - ए - हयात  से,
उसका चेहरा हटता ही नहीं दिलों-दिमाग से..

सब   अंधेरा  लग   रहा   नूर - ए - हयात  में,
मुझे   फिक़्र   होती   हैं  तेरे बेरुख अंदाज़ से..

कभी भी जुदा न करना शरीक-ए- हयात से,
ऐ  खुदा  दुआ  हैं  मेरी   तुमसे  हर   बार  ये..

तूझे बस पाने की आरज़ू इस दौर-ए-हयात में,
मैं  खुद  को ही भूले  जा  रहा  हूँ  तेरे  याद में..

पहली जगह मिले तूझे मेरे रूदाद-ए-हयात में,
माँगुंगा  तेरी  खुशी  अपनी  आखरी  मुराद में..

©Bhavesh Thakur Rudra #Poetry 
#rain