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सुनो.. जब में तुम्हें बुलाऊ तुम दबे पाव चली आना ।।

सुनो..
जब में तुम्हें बुलाऊ तुम दबे पाव चली आना ।।
आवाज़ ना देना मुझे " बस इशारों से कुछ केहती जाना ।।
में ना सुनु तो थोड़ा शर्माना नज़रे को अपनी झुकाना ।।
धीमे से अपने होठो को हिलाना " ना ना आवाज़ ना देना मुझे.
बस इशारों से कुछ केहती जाना  ।।
रखना हाथ मेरे हाथो में नज़रो को अपनी तुम  ।।
मेरी नज़रो से मिलाना मेरी धड़कती धड़कनो को  ।।
आहिस्था से तुम सुनती जाना   ।।
ना ना आवाज़ ना देना मुझे बस इशारों से कुछ केहती जाना ।।
बैठना पल दो पल पास मेरे ।।
रखना सर कंधे पर मेरे " खुशी के दो वक़्त गुज़ार सँग जाना 
ना ना आवाज़ ना देना मुझे ।।
बस इशारों से कुछ केहती जाना ।।
लिखी हैं दो पन्नो पर कविता अपने प्रेम की तुम देखना उसे॥
मन हीं मन शब्दों को समझ तूम जाना ।।
ना ना आवाज़ ना देना मुझे बस इशारों से कुछ केहती जाना
जा रही हों तुम "जाते जाते काम तुम एक कर जाना ।।
अधूरी सी हैं वो प्रेम कविता "उसी पूरी तुम कर जाना ।।
ना ना आवाज़ ना देना मुझे ।।
बस इशारों से कुछ केहती जाना हैं ।।
इश्क़ हैं तुम्हें मुझसे उस कोरे पन्ने को भर को तुम जाना ।।
लिखना अपनी दास्ता" मेरे शब्दों को अपने शब्दों से मिलाना
हों जायेगी प्रेम कविता पूरी ।।
ना ना इस बार चुप ना रहना तुम उस पूरी दास्ता को पढ़ कर मुझे सुनाना ।।
बुलाऊंगा फिर से तुम्हें में तुम दबे पाव चली आना ।।
हाँ हाँ इस बार आवाज़ देना तुम मुझे  ।।
मेरा नाम संग तुम  पुकारना मेरा नाम संग तुम पुकारना
मेरा नाम संग तुम पुकारना  मेरा नाम संग तुम पुकारना

©विपिन सेवक " #write #writing #newone #newpost #poyetry #poem #Like #shere #Comment
सुनो..
जब में तुम्हें बुलाऊ तुम दबे पाव चली आना ।।
आवाज़ ना देना मुझे " बस इशारों से कुछ केहती जाना ।।
में ना सुनु तो थोड़ा शर्माना नज़रे को अपनी झुकाना ।।
धीमे से अपने होठो को हिलाना " ना ना आवाज़ ना देना मुझे.
बस इशारों से कुछ केहती जाना  ।।
रखना हाथ मेरे हाथो में नज़रो को अपनी तुम  ।।
मेरी नज़रो से मिलाना मेरी धड़कती धड़कनो को  ।।
आहिस्था से तुम सुनती जाना   ।।
ना ना आवाज़ ना देना मुझे बस इशारों से कुछ केहती जाना ।।
बैठना पल दो पल पास मेरे ।।
रखना सर कंधे पर मेरे " खुशी के दो वक़्त गुज़ार सँग जाना 
ना ना आवाज़ ना देना मुझे ।।
बस इशारों से कुछ केहती जाना ।।
लिखी हैं दो पन्नो पर कविता अपने प्रेम की तुम देखना उसे॥
मन हीं मन शब्दों को समझ तूम जाना ।।
ना ना आवाज़ ना देना मुझे बस इशारों से कुछ केहती जाना
जा रही हों तुम "जाते जाते काम तुम एक कर जाना ।।
अधूरी सी हैं वो प्रेम कविता "उसी पूरी तुम कर जाना ।।
ना ना आवाज़ ना देना मुझे ।।
बस इशारों से कुछ केहती जाना हैं ।।
इश्क़ हैं तुम्हें मुझसे उस कोरे पन्ने को भर को तुम जाना ।।
लिखना अपनी दास्ता" मेरे शब्दों को अपने शब्दों से मिलाना
हों जायेगी प्रेम कविता पूरी ।।
ना ना इस बार चुप ना रहना तुम उस पूरी दास्ता को पढ़ कर मुझे सुनाना ।।
बुलाऊंगा फिर से तुम्हें में तुम दबे पाव चली आना ।।
हाँ हाँ इस बार आवाज़ देना तुम मुझे  ।।
मेरा नाम संग तुम  पुकारना मेरा नाम संग तुम पुकारना
मेरा नाम संग तुम पुकारना  मेरा नाम संग तुम पुकारना

©विपिन सेवक " #write #writing #newone #newpost #poyetry #poem #Like #shere #Comment