शोर ख़त्म होता मन का, कुछ यादगार सफ़र याद आने से, तन्हाइयों में आती हैं बहारें, बीते लम्हात को गले लगाने से। ये कर लूँ,बस एक ये और पा लूँ में छूट जाता कितना कुछ, कहाँ से कहाँ, बहा लाती हमें ज़िन्दगी झूठे-सच्चे बहाने से। 🎀 Challenge-470 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।