तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे, कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है। तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा, कि जैसे गुलों से लिपटी बहार गुज़री है। तेरी राहों में जो ठहरे थे सिलसिले, वो सब रातों में बनके खुमार गुज़री है। तू जो आया तो एहसास यूँ हुआ नवनीत, ज़िंदगी अब तलक बेकरार गुज़री है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे, कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है। तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा, कि जैसे गुलों से लिपटी बहार गुज़री है। तेरी राहों में जो ठहरे थे सिलसिले, वो सब रातों में बनके खुमार गुज़री है। तू जो आया तो एहसास यूँ हुआ नवनीत, ज़िंदगी अब तलक बेकरार गुज़री है।