मेरी दुआ है उस रब से, हाथ उठाए हुए हैं कब से जो न देखना चाहे मुझे, तु दूर रख मुझे उन सबसे, बेकद्र ज़माने से वास्ता नहीं, दिल टूटा है जब से, चेहरा ही उदास लगता है अब तो, पता नहीं हंसी नहीं मैं कब से, तुम जैसे मिलोगे मुझसे, मैं भी वैसे ही मिलूंगी अब से, दिक्कत तो दिन के उजाले से भी न थी, पर अब तो डर लगता है हर शब से, दिल राहत चाहता है हर मसले से, अब तो जान भी चली जाए बेशक से, दिखता है न तुझे भी मेरे प्रभु, किसी से रिश्ता नहीं था मतलब से..!! - Kiran ✍🏻❤️🧿 ©ख्वाहिश _writes #RAMADAAN